जिंदगी के सफर में तू आगे बड़ अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
दूरियां तू मत देख ओ फकीरा,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
लम्बी अकेली राहों में तू होगा अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
मत भूल अब तू है एक बंजारा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
जो है इल्तिफ़ात का मारा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
देख तू बस एक बसेरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
संसार मे तू आया भी अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
संसार से तू जायेगा भी अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
दिखेगा रोज़ वही सूरज और वही शशी अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
आयेगा रोज़ नई सोच लेकर साथ में एक नया सवेरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
रोज़ का सवेरा तुझे नया लगेगा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
तू जब एक जिज्ञासु पर्यवेक्षक बनेगा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
फिर समझेगा की छाया ही है अंधेरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
मत भटक मत अटक इन अस्तव्यस्त राहों पर,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
मत हार तू इन अधूरी राहों पर,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
हर राह पर नए अजनबी मिलेंगे,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
हर नए अजनबी से गले भी मिलेंगे,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
निकल जा आगे अजनबियों को यह कहकर फिर मिलेंगे,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
जिंदगी रहेगी तो साथ मिलकर चाय की चुस्की फिर लेंगे,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
ना देख किधर ले चली तुझे ये डगर,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
ना देख कौन नगर ले चली तुझे ये सफर,
राहगीर तू बस बढ़ता चल अकेला,
ना भूलना टहलते टहलते निशाकर का तुम साथ देना,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
ना झुकना सफर मे अगर साया ना देगा साथ तेरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
सोचूं मैं बैठा अकेला जीवन कैसा है खेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
के पीछे पीछे चले आए यादें जैसे लता की बेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
न जाने कितनों ने है सजाये सपनों का यहाँ मेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
देखा की मेरे पत्थर का सिंहासन भी है अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
कितनों को इस अकेले पत्थर ने होगा है झेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
बैठे अकेले खोला मैंने चित्रांकन पुस्तक का एक पन्ना,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
जीवन के उन खाली पन्नों पर मैंने रंगों को बिखेरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
अधूरे चित्रों में भी मैंने पूरी ज़िंदगानी बिखेरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
चित्रकारी वह मूक काव्य है जो बोलती है,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
जो रोने मे भी हस्ती है,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
आरज़ू बस इतनी की कट जाए जैसे तैसे जीना,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
आरज़ू बस इतनी बने रहे सादा जीना ही नगीना,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
आरज़ू बस इतनी हमें न करे कोई बे-आबरु कही ना,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
हर कदम पे जो बदल दे लोगों की नजरियां,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
बड़ गया एहसास की दिल दरिया तो समुंदर है गहरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
घुले चाहे काफिला मे फिर भी रहे तू हमेशा अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
लटके रहे चाहे माथे पर बड़े बड़े काकुल,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
काँटों को ना कर कभी तू तग़ाफ़ुल,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
गज़ब हैं ये हौसलों का सफर,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
अजब है ये क़ाफ़िलो का समूह,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
जिस में सारे लोग है अवीरा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
अवीरा है मगर दूसरों से इकल्ला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
मांगने गए थे तपस से दुवा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
चुरा ले गये कोई नोचा हुआ जूतियां,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
चुभेंगी कंकड़ टूटेंगी चरण पादुका,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
स्पर्श से एहसास हुआ कि कितना तेरा पांव दुखा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
सतरंगी अरमानों को दिल मे लिए चल,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
इंद्रधनुषी मेघों को लक्ष्य बनाए चल,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
उन निगाहों को आत्मा की खिड़कियाँ बनने दो,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
उन खिड़कियों को घाटियों की चश्मा बनने दो,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
उन वादियों को चित्रकारी में बदलने दे,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
उन रंगों की महक को वादियों मे घुलने दे,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
अंधेरे मे भटके राहगीरों को राह दिखाता,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
चमकता धमकता आसमान मे वो ध्रुव तारा,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
दर्पण भी किसको कब सच बता पाया,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
प्रतिबिंब को भी दायाँ तो बायाँ ही नज़र आया,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला,
जिंदगी के सफर में तू आगे बड़ अकेला,
राहगीर तू बस बढ़ता-चल अकेला.
~मीना~
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