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Showing posts from January 30, 2014

जुगनु की तलाश --

जैसे आकाश में उड़ान भरती चक्कर काटते जुगनु हर नुक्कड़ और कोने पर चक्कर काटते तेजी से बाएँ और दाएँ मेरे सपनों में धूल,मेरी आँखों में सपने हर नुक्कड़ और कोने मे खोज कर रहा था मेरी आँखें सदैव छिपे हुए प्रकाश खोज कर रहा था बस वक़्त का ठहराव हैं और राहें अब हैं चल पडीं जमे हुए सर्द हवा में गर्म ताजगी धुंध का कम्बल लपेटे मन के कमरे में एक उजाड़ आत्मा दूर भटकने की साहस दिखाता है जुगनुओं के शहर से काल्पनिक आँखों से घिर सपने के साथ मुझ में देख चिलचिलाती धूप हमारे अस्तित्व एक सूखे पत्ते की तरह है जैसे उड़ान भरती जुगनु बाएँ और दाएँ जैसे की पृथ्वी पर आग बरसात हो रही है पृथ्वी के ऊपर उड़ान पर सूर्य पक आग तृणमणि रंग बरसती जुगनु इधर - उधर भटक एक तरलीकृत राज्य में मेरी आँखों में असीमित सपने के साथ घिर इसकी गर्मी पहले से ही झुलसा आत्मा जल रहा है यह सूर्य की गर्मी से दृढ़ता से स्पष्ट है जैसा सूर्य एक मोती का हार पहने हुए है हलकी सी सर्द है हवा एक पगड़ी की तरह मेरी आँखों में बुना सपने कुछ ढूँढ़ते हैं नुक्कड़ पे कोने पर कुछ सपनों की तलाश करने के लिए चलते हैं अभि कुछ इस दिन से मै